मापनी के आधार पर मानचित्रों के प्रकार । Types of Maps based on Scale


 मापनी के आधार पर मानचित्रों को दो भागों वर्गीकृत किया जा सकता है :

1. बृहद मापनी मानचित्र (Large Scale Maps) : इन मानचित्रों में छोटे क्षेत्रों को अपेक्षाकृत बृहत मापनी के द्वारा दिखाया जाता है। जैसे-1:250000, 1 : 50000,1: 25000 आदि गाँव अथवा क्षेत्रीय मानचित्र को 1 : 4000, 1 : 2000 या 1 : 500 मापनी पर दिखाया जाता है। इन मानचित्रों को अग्रलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है। 



(i) भू-सम्पत्ति मानचित्र (Cadastral Maps) : इन मानचित्रों को कृषि भूमि की सीमाओं का निर्धारण कर तथा नगरों में व्यक्तिगत मकानों के प्रतिरूप को दर्शाकर उनके स्वामित्व को दर्शाने के लिए बनाया जाता है। ये मानचित्र सरकार द्वारा भूमिकर, लगान आदि के रिकार्ड के लिए बनाए जाते हैं। ये बृहत मापनी पर बनाए जाते हैं जैसे 1 4000 तथा नगरों के मानचित्र 1: 2000 पर बनाए जाते हैं।


(ii) स्थलाकृति मानचित्र (Topographical Maps) : ये मानचित्र भी बृहत मापनी पर बनाए जाते हैं। ये परिशुद्ध सर्वेक्षणों पर आधारित होते हैं। उदाहरण के लिए भारत का सर्वेक्षण विभाग पूरे देश के स्थलाकृति मानचित्रों को 1 250000,1 50000 तथा 1: 25000 को मापनी पर बनाता है।


2. लघुमान मानचित्र (Small Scale Maps): इनका उपयोग बृहत क्षेत्र को दिखाने के लिए किया जाता है जैसे एटलस मानचित्र तथा भित्ति मानचित्र आदि। इन मानचित्रों को निम्नलिखित वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है :



 

(क) भित्ति मानचित्र (Wall Maps) : ये मानचित्र सामान्यतया बड़े आकार के होते हैं। इनका उपयोग कक्षा में भूगोल पढ़ाने के लिए होता है।



 

(ख) एटलस मानचित्र (Atlas Maps): एटलस मानचित्र लघुमान मानचित्र हैं। ये मानचित्र बड़े आकार वाले क्षेत्रों को प्रदर्शित करते हैं तथा भौतिक एवं सांस्कृतिक विशिष्टताओं को सामान्य तरीके से दर्शाते हैं।

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